सही है कि तुम चले गये, दूर अब मुझसे हो गये
इतने वक़्त से भी कहाँ करीब थे, पर अब फाँसले सदा के लिए हो गये
बात करने का तुमसे मन नहीं, कोई जवाब तुम्हारे खयाल का देना नहीं
ना तुमसे कोई रिश्ता, ना अब कोई और चाह रही
काश की तुम बीते दिनों से भी मिट जाओ, तुम्हारी यादें इस कोहरे में कहीं गुम जायें
काश कि तुम्हारा नाम मुझे फिर याद न आये, ये याद रहे कि तुम मेरे कोई नहीं
जो हो तुम मेरे कोई नहीं तो फिर भी क्यूं याद करती हूँ ये कह कर कि तुम मेरे 'कोई नही'
चले जाओ तुम मेरे शब्दों से, ख्यालों से, इस वक्ये के बाद तो तुम जा चुके हो मेरे सपनों से भी
नाम लेते ही साँसों में अब भी हलचल सी क्यूँ होती है
क्यूँ किसी बात की आशा अब भी रहती है
हाथों से तुम्हें छिटकना चाहती हूँ फिर भी एहसास छूटता क्यूँ नहीं
चलते हुये गिरती हूँ तो आज भी क्यूँ तुम्हारा हाथ बढा देना याद आता है
ये दिन - यह वाक्या बीता है तो फिर इसी तरह ज़िन्दगी आगे भी बढ जायेगी
तुम्हारा तो पता नहीं, मुझे 'बूढे हो जाने पर ये-वो होगा' - वाली बातें याद आयेगीं
चाहती हूँ इस सबके बाद भी तुमसे कभी मुलाकात ना हो
सामना करने की हिम्मत जो खो बैठी हूँ
सूरत-सीरत, अन्दाज़ और तलफ्फुज़् सब बदल गये हैं
बहुत डर लगता है अपने इस बद्ले हुए रूप से
काफी चीज़े छोड आयीं हूँ पीछे
वो तभी के लिये सही थी
अब तो उन्हें साथ लिये ज़िन्दगी जीना भी कठिन है
खुश रहो तुम सदा, बहुत बडे बनो
ज़िन्दगी का हर मकाम तुम्हें हासिल हो, ये तमन्ना है मेरी
बस तुमसे सामना ना हो फिर कभी, ये ख्वाहिश बाकी रहेगी
poem taken from rohits blog.....truly heart touching
Welcome back... and thanks for posting it here.. Its beautifully written by my best friend chhiyaishi.. And Nidhi y my name is not in you DOST list :-( very bad, and u didn’t linked my name in this poem also.. Keep wiring :-)
hi check out below....your name very well figures out in the last line....anyways am still in the re-building mode and am doing one thing at a time....thanks for visiting
अच्छी कविता है।
हिन्दी में और भी लिखिये। कृपया वर्ड वेरीफिकेशन हटा लें। यह न केवल मेरी उम्र के लोगों को तंग करता है पर लोगों को टिप्पणी करने से भी हतोत्साहित करता है।
Thnk u :-)
hi unmukt, welcome to my blog, and thanks for the comment....sure will try doing as suggested
ह्म्म्म अछी है बढ़िया है, मान गए आपकी पार की नज़र और कविता है सुपर दोनों को
kavita pur to loi tipanni nahi karungi, pur haan aap bhi kuch kum nahi...mujhe pati nahi tha ki aap mein bhi kavi chipa hai....one of those unspoken truths i guess...
वोह कविता थी क्या... अरे हमें तो मालूम ही नहीं था....
kavita nahin thi...bus kavita hone kaa ahsaas tha :-))
क्या बात कर रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है शायद इसी को कविता कहते है
mere khayal se kavita maan ke bhav hein, jo kabhi 2 panktiyon mein aur kabhi kai panno mein prakat hota hai....kavi aasman se nahi tapkte hain, woh hum mein se hi hota hain....kuch aankhon ke saamne aur kuch aankhon se ojhal hotein hain....
so u r also the poet.....
yup i think so....wait till i publish all my poems....i think u and a lot of other people will be amazed....
@Nidhi Narayan said...
yup i think so....wait till i publish all my poems....i think u and a lot of other people will be amazed....@
waiting for it :-)
I would never like you to know,
To let me be a perfect stranger to you.
Some things are better unsaid,
They are just too pure to be expressed out loud.
Free IITJEE Preparation
rohit...those are nice lines...and hope your prep for iit are going on well....i recently met a guy from iit-roorkee, they r really smart must say...hope u get into the club too..